गुलाब से महकी बगिया

गुलाब एक बहुवर्षीय, झाड़ीदार, पुष्पीय पौधा है। इसकी 100 से अधिक जातियां हैं जिनमें से अधिकांश एशियाइ मूल की हैं। जबकि कुछ जातियों के मूल प्रदेश यूरोप, उत्तरी अमेरिका तथा उत्तरी पश्चिमी अफ्रीका भी है। भारत सरकार ने १२ फरवरी को गुलाब-दिवस घोषित किया है।

बारिश का मौसम पेड़ पौधों के लिए नव जीवन का संदेश लेकर आता है। गर्मी में धूप और धूल मार झेल रहे पौधों पर बारिश की पहली बूंदे पड़ते ही लगता है मानों उन्हें नया जीवन मिल गया हो। यूं तो सिंचाई करने से पेड़—पौधों को आवश्यकतानुसार जल मिलता रहता है, लेकिन सही मायने में वर्षा ऋतु में ही तृप्त हो पाते हैं। बारिश का पानी पौधों में नई उमंग का संचार करता है और वो खिल उठते हैं। 

आमतौर पर बारिश का मौसम हर पौधे के लिए उपयुक्त होता है। "गुलाब" के पौधे की "कलम(तना/टहनियों)" से नए पौधे के विकास के लिए यह मौसम अधिक अनुकूल है। बारिश में गुलाब के पौधों से नए पौधे विकसित करने में अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ती। यदि आप भी गुलाब के पौधों से अपनी क्यारी सजाना चाहते हैं, तो देर किस बात की। 

पौधों की पू्रनिंग :
गुलाब के पौधों को समय—समय पर कांट छांट करना बेहतर होता है। इससे एक ओर जहां पौधे को पर्याप्त मात्रा में पोषण मिलता है, वहीं दूसरी ओर पौधे की सुंदरता भी बढ़ती है। इसके साथ ही पौधों में फूलों की संख्या भी बढ़ जाती है। बारिश के मौसम में गुलाब के पौधों की छंटाई करने के दो फायदे हैं। पहला ये कि इसकी टहनिया और तने का अतिरिक्त हिस्सा "कलम" के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और दूसरा ये कि छंटाई के बाद पौधे में उगने वाली नई पत्तियों से पौधे "निखर" उठते हैं।

सितंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक का समय पौधों की पू्रनिंग (कटाई-छंटाई) के लिए उपयुक्त होता है। पू्रनिंग के लिए तेज धार वाली "स्केटियर" लें। यह एक विशेष कैंची होती है, जिसके फाल तोते की चोंच की तरह होते हैं। पू्रनिंग में गुलाब की टहनियों को एक बार में 45 डिग्री के कोण पर तिरछा काटें। ध्यान रखें कि विभिन्न प्रजाति के गुलाब के पौधों की पू्रनिंग भी अलग—अलग तरह से होती है। उदाहरण के लिए "हाइब्रिड टी" गुलाब की ऊपर की सभी टहनियों को काट दें और नीचे की टहनियों को 10 से 12 इंच छोड़ दें। वहीं, "फ्लोरीबंड" किस्म के गुलाब में पू्रनिंग हल्की होती है। जबकि पालिएल्थिया व मिनीएचर गुलाब की टहनियों की पू्रनिंग नाममात्र की होती है। 
पू्रनिंग के बाद कटे स्थान पर तुरंत कीटनाशक पेंट लगा देना चाहिए। यदि कीटनाशक पेंट नहीं हो तो नारंगी सिंदूर को अलसी के तेल में घोलकर गाढ़ा पेंट तैयार कर सकते हैं। 
क्यारी अथवा गमलों में गुलाब के पौधे अथवा कलम लगाने से पहले उपयुक्त मिट्टी का चुनाव करें। क्यारी/ गमलों में मिट्टी डालते समय ध्यान रखें की उनमें अधिक बड़े पत्थर न हों। ये पौधों के विकास में बाधक बनते हैं। पौधा अथवा कलम रोपने से पहले मिट्टी में थोड़ा खाद मिलाने से पौधों का ग्रोथ अच्छा होता है। 
यदि गमले या क्यारी में कोई गुलाब का कोई नया पौधा लगा रहे हैं तो पहले गमले में एक तिहाई मिट्टी भरें। फिर गुलाब के पौधे को हल्के से उस मिट्टी में बिठाते हुए गमले में ऊपर तक मिट्टी को समतल कर दें। हल्के हाथों से चारों ओर धीरे—धीरे दबाकर मिट्टी जमा दें। इसी तरह यदि क्यारी में पौधा लगा रहे हैं तो पहले क्यारी को नीचे तक खोदें फिर उसमें लगभग तीन से चार इंच तक पौधे को डालकर ऊपर से मिट्टी भर दें। वहीं, कलम लगाते समय ध्यान रखें कि इसे थोड़ा तिरछा लगाएं। पौधों की तरह ही कलम को मिट्टी में रोपें और हल्के हाथों से आस—पास की मिट्टी को समतल कर बिठा लें।
गोबर की पुरानी खाद पांच किलो, एक मुट्ठी हड्डी का चूरा, एक मुट्ठी नीम की खली, थोड़ी सी रेत और जरा सा कीटनाशक मिलाकर घर पर ही खाद तैयार किया जा सकता है। नए पौधों के अलावा पुराने पौधों में भी यह खाद डाल सकते हैं। इसके लिए पुराने गमलों अथवा क्यारी में लगे पौधे के असापास की मिट्टी हटाकर पौधों के जड़ों को थोड़ा बाहर की ओर कर लें। अब गुलाब के पौधे के चारों ओर इसे डालकर जड़ों को अच्छी तरह बिठा दें और मिट्टी समतल कर दें। 
पानी पौधों के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन लगातार बारिश पौधों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए गमलों अथवा क्यारियों में अतिरिक्त पानी जमा न होने दें। गमलों में पौधे लगाते समय उसकी छेद का ध्यान रखें। छेद होने के बावजूद यदि ऎसा लगता है कि पानी का निकास सही तरीके से नहीं हो रहा तो पौधे को गमले से निकाल कर दोबारा लगाएं। वहीं, क्यारियों से पानी के निकास का भी ध्यान रखें। क्यारी में अतिरिक्त जल—जमाव को रोकने के लिए छोटी—छोटी नालियां बना सकते हैं।
*साभार

2 टिप्पणियाँ:

ईद के पाक मौके पर मैं आपको व आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनायें देता हूँ !

Jitana manmohak Gulab utana hi manmohak prastuti.PLz, visit my blog.

एक टिप्पणी भेजें